करवा चौथ व्रत कथा और ध्यान देने वाली कुछ महत्वपूर्ण बातें एवं आरती

करवा चौथ व्रत कथा औरआरती

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करक चतुर्थी अर्थात करवा चौथ कहते हैं यह दिन सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत ही श्रेष्ठ व्रत कहा जाता है स्त्रियां इस दिन इस व्रत को करके अपने पति के दीर्घायु की कामना करती है इस दिन सुहागन स्त्रियां चावल पीसकर दीवार पर करवा  बनाती है जिससे करवा कहते हैं तथा सुहाग की वस्तुएं जैसे चूड़ी, बिंदी ,बिछुआ मेहंदी ,महावर आदि के साथ दूध देने वाली गाय, करवा बेचने वाली कुमारी,महावर लगाने वाली नाइन, चूड़ी पहनने वाली मनिहारान, सात भाई और उनकी इकलौती बहन, सूर्य, चंद्रमा,  गौरा और पार्वती आदि देवी देवताओं के भी चित्र बनाए जाते हैं

 

करवा चौथ का व्रत करने से पहले कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए इन बातों को ध्यानपूर्वक करने से आपका व्रत कई गुना अधिक फलकारी हो जाता है

 

करवा चौथ सुहागिनों का व्रत है इस व्रत को करने से पत्नी अपने पति की दीर्घायु की कामना करती है और सदैव भी उनके बीच में प्यार बना रहे इस आस्था के साथ इस व्रत  नियम के साथ पालन करती है पूरे वर्ष भर सुहागिनों को इस दिन का बहुत इंतजार रहता है यह व्रत कार्तिक मास के 

 

कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को कहा किया जाता हैइस दिन सुहागन स्त्रियां भगवान शिव माता पार्वती के साथ कार्तिकेय भगवान और गणेश भगवान की पूजा भी की जाती है पूरा दिननिराजल व्रत रखने के पश्चात शाम को चंद्रमा के दर्शन और उनको आगे देने के पश्चात ही पति का आशीर्वाद लेकर के भोजन ग्रहण किया जाता है

 

जिस दिन करवा चौथ का व्रत आता है उसे दिन सुहागन स्त्रियों को सूर्योदय से पहले उठकर के भली भांति घर साफ करके स्नान कर लेना चाहिए और साथ ही साथ अपने मंदिर को भी साफ सुथरा करके समस्त भगवान की पूजा-अर्चना करके उनसे आशीर्वाद लेकर के दीपक जलाकर के उनकी अर्चना करनी चाहिए

 

भगवान शिव, मां पार्वती, गणेश  और कार्तिक भगवान यानी की समस्त परिवार के समक्ष इस व्रत का संकल्प लेना चाहिए और यह व्रत निर्विघ्न संपन्न हो इसकी प्रार्थना ईश्वर के समक्ष करनी चाहिए

 

१-इस दिन सुहागन स्त्रियों को गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए अन्य किसी रंगों के चुनाव से बचना चाहिए यह रंग उनकी जिंदगी में प्यार को आकर्षित करते हैं

 

२- करवा चौथ के दिन सोलह सिंगार अवश्य ही करना चाहिए

 

३-इस दिन सुहागन महिलाओं को सास के द्वारा सरगी दी जाती है जिससे यह व्रत शुरू होने से पहले ही खा लेना चाहिए, सरगी सास के द्वारा दिया हुआ प्रेम और आशीर्वाद माना जाता है

 

४-भूल करके भी इस व्रत के दिन जल अथवा अन्य ग्रहण नहीं करना चाहिए इससे व्रत संपूर्ण नहीं होता है और फल भी इसका प्राप्त नहीं होता है

 

५-दीपक जलाने के पश्चात सुहागिन स्त्री को अपने घर के बड़ों का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए

 

करवा चौथ की पूजन सामग्री

 

करवा चौथ के व्रत में आवश्यक सामग्रियों को एक दिन पहले ही एकत्रित कर लेना चाहिए इसमें चंदन ,शहद  ,अगरबत्ती, पुष्प ,कच्चा दूध, शक्कर ,शुद्ध घी,तांबे का करवा,फूल माला,पान कलश हल्दी,सींक ,चलनी,करवा चौथ की थालीहोली कुमकुम मौली अक्षतबिछिया या पायल ,शक्कर का बुरा आदि सामग्री अत्यधिक महत्वपूर्ण है

 

करवा चौथ मेंकरवा और सींक  का महत्व-

 

करवा चौथ में मिट्टी या पीतल के करवे का जो प्रयोग किया जाता है इसका अत्यधिक विशेष महत्व है करवा  को भगवान श्री गणेश का रूप माना जाता है और करवा की जो टोटी होती है उसे सूंड माना जाता है इसीलिए इसमें जल भरकर के शाम को चंद्रमा के दर्शन होने के पश्चात अर्घ्य देकर के अपने व्रत को संपन्न करके शुभ फलों के प्रति की कामना की जाती है

इस दिस सुहागन स्त्रियां निर्जन व्रत रखती है अर्थात जल भी ग्रहण नहीं करती है जब रात्रि को चंद्रमा निकलता है तब उसे अर्घ्य  दिया जाता है और अपने बड़ों के पैर छूकर और अपने पति की पूजा करके भोजन किया जाता है

पर आजकल दीवार पर करवा चौथ बनाने में असुविधा होने से करवा चौथ का चित्र बाजार से लाकर के दीवार पर चिपका करके भी उसकी पूजा की जाती है

करवा चौथ की व्रत कथा

एक साहूकार था जिसके साथ बेटे और एक बेटी थी सातों भाई बहन एक ही साथ बैठकर के भोजन किया करते थे एक दिन जब कार्तिक की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का व्रत आया तो भाई बोला अपनी बहन से भोजन करने के लिए बहन बोली आज करवा चौथ का व्रत है जब चांद उगेगा उसके बाद ही खाऊंगी,तब भाइयों ने सोचा कि चांद उगने तक तो बहन भूखी रह जाएगी तो एक भाई ने दिया जलाया और दूसरे भाई ने छलनी लेकर उसे ढाका और नकली चांद दिखा करके बहन से कहने लगा कि चांद निकल आया है आज दे दो और आके  हमारे साथ खाना खा लो

यह खबर सुन खुशी से अपने भाभियों से कहने लगी कि  चांद निकल आया है चलिए अर्घ्य  दे दे तब भाभियों उत्तर में कहने लगी अभी चांद नहीं निकला है चांद तो रात में आएगा लेकिन बहन ने एक भी कथा नहीं सुनी और अर्घ्य  देने के लिए चली गई और खाना खाने के लिए बैठ गई

जैसे ही उसने पहला निवाला मुंह में लिया पहले ही ग्रास में बाल आ गया दूसरे  निवाले में कंकर और तीसरे निवाले  जब तक मुंह में आया तो उसकी ससुराल से संदेशा आया कि उसका पति बहुत बीमार है उसे जल्दी भेजो ,मां ने जब लड़की को विदा किया तो कहा कि रास्ते में सबके  उसके पांव छूते जाना और जो कोई भी सुहाग का आशीष दे उसको पाले में गांठ बांधकर उसे कुछ रुपए दे देना

बहन जब भाइयों से विदा लेकर ससुर अपने ससुराल की ओर जाने लगी तो रास्ते में जो भी मिला उसने यही आशीष थी कि तुम सातों भाई बहन तुम सुखी रहो और तुम उनके सुख देखना ,लेकिन किसी ने भी उसको सुहागन होने का आशीर्वाद नहीं दिया जब वह ससुराल पहुंची तो दरवाजे पर उसकी छोटी नंद खड़ी थी वह भी उसके पांव लगी तो उसने कहा सुहागन रहो सपूत ही रहो, बहन ने यह सुनकर पाले में गांठ बांध दी और ननद को सोने का सिक्का दिया

लेकिन जैसे ही भीतर आई उसने देखा कि पति धरती पर पड़ा है तो वह उसके पास उसकी सेवा करने के लिए बैठ गई ,इसके पश्चात सास ने दासी के हाथ कुछ रोटी भेज दी ,इस प्रकार समय बीतता गया ,मार्ग शीष की  आई तो चौथ माता बोली करवा ले ,करवा ले, भाइयों की प्यारी बहन करवा ले लेकिन जब उसे चौथ माता नहीं दिखाई दी तो वह बोली है माता आप ही मेरा उद्धार करो आपको मेरा सुहाग देना पड़ेगा, तब उसे चौथ माता ने बताया कि पौष की चौथ आएगी वह मेरे से बड़ी है उसे ही सब कहना वही तुम्हारा सुहाग वापस करेगी पौष की चौथ आकर चली गई, माघ  की चली गई ,फागुन की चली गई ,चैत्र ,वैशाख ,ज्येष्ठ, आषाढ़ , श्रावण ,भादो की सभी चौथ आई और यही कहकर चली गई कि आगे आने वाले चौथ को कहना 

असौज की जब चौथ आई,तो उन्होंने बताया कि चौथ कार्तिक की चौथ ही तुम पर कृपा कर सकती हैं वह आएंगे तो पांव पड़कर विनती करके अपनी मनोकामना उनसे कहना

जब कार्तिक की चौथ आई तो उन्होंने कहा भाइयों की प्यारी करवा ले ,चौथ माता को देखकर उसके पांव पड़कर यह प्रार्थना  करने लगी कि हे  चौथ माता मेरा सुहाग अब आपके हाथों में आप ही मुझे सुहागन होने का अब आशीर्वाद प्रदान करें मैंने भूल से जो भी कुछ किया है उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं 

इससे चौथ माता ने प्रसन्न होकर आंखों से काजल ,नाखूनों में से मेहंदी और टीके में से रोली लेकर छोटी उंगली से उसके आदमी पर उन् चीज़ो का छीटा दिया, तो वह उठकर बैठ गया और बोला आज बहुत सोया हूँ  

चौथ माता ने उनका सुहाग उन्हें वापस कर दियाऔर अब जल्दी से उन लोगों ने पूजा संपन्न की चौथ माता की कहानी सुनी करवा का पूजन किया

तब से गांव में या प्रसिद्ध हो गई की सभी स्त्रियों को चौथ का व्रत करने से उनका सुहाग अटल रहता है है  हे चौथ माता जैसे तूने साहूकार की बेटी का सुहाग दिया वैसे सबको देना यही करवा चौथ के उपवास की महिमा अपरंपार है

करवा चौथ की कथा संपन्न होने के पश्चात मां करवा के आरती के साथ ही साथ गणेश भगवान की आरती भी अवश्य करनी चाहिए

और उनसे भीसुहागन होने का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,

चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे,

मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,

और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे,

संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,

कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत,

निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए,

सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,

शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो,

जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।

ओम जय करवा मैया…

सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।

यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।

ओम जय करवा मैया…

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।

ओम जय करवा मैया…

होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।

गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।

ओम जय करवा मैया…

करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।

व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।

ओम जय करवा मैया…

करवा चौथ व्रत की यह कथा महिमा और आरती आपके मन और जीवन में अपार खुशियों का प्रवेश द्वार खोल देती है अतः ऐसी मां की पूजा अवश्य ही नत मस्तक होकर श्रद्धा भाव से करनी चाहिए