durga kawach/श्री दुर्गा कवच पाठ हिंदी में  –

durga kawach

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श्री दुर्गा कवच पाठ हिंदी में  –

दुर्गा कवच के पाठ से  शरीर के समस्त अंगों की सुरक्षा प्रदान करने की बात माता रानी से कही गई है यह पाठ महामारी से बचाव में रक्षा, करता है और पूर्ण रूप से एक व्यक्ति को अच्छा जीवन प्रदान करता है यह अत्यंत  चमत्कारिक पाठ है अतः इसे पूर्ण श्रद्धा,निष्ठा, भक्ति के साथ मां के समक्ष करना चाहिए 

श्री दुर्गा कवच पाठ इस प्रकार है

श्री मार्कंडेय जी बोले,हे  ब्रह्मा जी इस संसार में जो परम गुप्त कवच है और जो सभी प्रकार से मनुष्य की रक्षा करने वाला है और जिसे आपने अभी तक किसी के सम्मुख प्रकट न किया हो उसे कवच को मुझे बतलाइए श्री ब्रह्मा जी मार्कंडेय जी से बोले हैं हे विप्र, अत्यंत छुपा हुआ संपूर्ण जीव मात्र का उपकार करने वाला और पुण्यदायक श्री देवी जी का कवच है सो तुम उसे कवच को मुझे सुनो अब मैं तुम्हें पहले कवच की अधिष्ठात्री देवी के सभी नौ मूर्तियों के नाम ध्यान करने के लिए बतलाता हूं वह इस क्रम से है

प्रथम शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा ,चौथी कुष्मांडा, पांचवी स्कंद माता, छठी कान्त्यानी ,सातवी कालरात्रि, आठवीं महागौरी, नौवीं  सिद्धिदात्री यह नौ देवियां हैं

जो मनुष्य अग्नि से जलते समय शत्रुओं के बीच युद्ध में घिर जाने पर तथा महान संकट में ,भय से दुखी होकर का माँ  भगवती की शरण में जाता है,उसका किंचित  भी अनिष्ट नहीं होता है और उसे पर मुझे कभी भी आपत्ति,शोक,भय, दुख दिखाई नहीं देता जो मनुष्य सच्चे हृदय से भक्ति के साथ मां भगवती का स्मरण करते हैं उनके सभी प्रकार से वृद्धि होती है और देवी, जो तुम्हारा स्मरण करते हैं उनकी तुम अवश्य ही रक्षा करती हो

श्री चामुंडा देवी प्रेत पर वाराही भैंस पर,ऎद्री हाथी पर, वैष्णवी देवी गरुड़ पर, श्री माहेश्वरी बैल  पर , कौमारी मोर  पर तथा श्री विष्णु भगवान के प्रिय श्री लक्ष्मी जो हाथ में कमल लिए हुए हैं कमल पर विराजमान है श्वेत रूप धारण किए हुए ईश्वरी देवी तथा समस्त आभूषणों से सुशोभित ब्राह्मी देवी हंस  पर आरुण है 

इस प्रकार की समस्त देवियां संपूर्ण योग शक्ति से युक्त विविध प्रकार के आभूषणों तथा रतन से शोभामयान हो रही है यह समस्त देवियां क्रोध में भरी हुई है और रथ में बैठी हुई दिखाई देती है यह शंख , चक्र, गदा ,शक्ति, हल मूसल,खेटक, तोमर, पाश,भाला, त्रिशूल,शारंग  तथा अन्य विविध आयुधो का  वध करने के लिए, भक्तों को अभय  देने के लिए और देवताओं के हित के लिए धारण करती है महारौद्रे, महाघोर, पराक्रम वाली देवी, तुम्हारे लिए नमस्कार है हे महाबली शालिनी ,हे महान उत्सव वाली देवी, हे  बड़ी कठिनता से दर्शन देने वाली शत्रुओं के भय को बढ़ाने वाली मैं तुम्हारी शरण में आया हूं मेरी रक्षा करो पूर्व दिशा में  ऎद्री देवी ,अग्नि कोण में अग्नि शक्ति ,दक्षिण दिशा में वाराही देवी, नैत्रतय  में खड़कधारणी ,पश्चिम में वारुणी  तथा वायुकोण  में मृगवाहिनी देवी, उत्तर दिशा में कौमारी ,ईशान कोण में शूलधारिणी, ऊपर आकाश में ब्राह्मणी और नीचे से वैष्णवी मेरी रक्षा करें

इसी प्रकार शव पर बैठी हुई चामुंडा देवी दसो दिशा में मेरी रक्षा करें ,जया देवी आगे की तरफ, से विद्या देवी पीछे की ओर से, अजिता देवी बाई तरफ से ,अपराजिता देवी दाहिनी ओर से और उद्योतिनी चुटिया  की, उमा देवी सिर  में स्थित हो मेरी रक्षा कर, इसी प्रकार मालाधारी माथे  की, यशस्विनी देवी दोनों भवों ,त्रिनेत्रा देवी भौहे के  मध्य स्थान की , नथुनों  की यमघंटा देवी,आंखों के मध्य की शंखनी देवी,कलिका कपोलो की,कानों के मूल भाग की शांकरी देवी, नासिका की सुगंधा , ऊपर के होंठ की चर्चिका देवी अमृतकल नीचे के होठ की ,सरस्वती देवी जिह्वा की, दातों कीकौमारी , कंठदेश की चंडिका, चित्रघंटा गले की , तालु  की महामाया रक्षा करें ,कामाक्षी टोढ़ी  की ,सर्वमंगला मेरी वाणी की रक्षा करें, भद्रकाली गर्दन  की ,धनुर्धरी पीठ की, कंठ के बाहरी भाग की नीलग्रीवा ,नलकूबरी कंठ  की नली की, खडगधारणी दोनों कंधों की, भुजाओं के वज्रधारणी रक्षा करें, दण्डनी दोनों हाथों की ,अंबिका उंगलियों की, समस्त संधियों  की सुरेश्वरी कोख  की कुलेश्वरी रक्षा करें, महादेवी दोनों स्तनों की, शोक विनाशिनी मेरे मन की ,ललिता देवी हृदय की और शूलधारिणी पेट की रक्षा करें ,नाभि की कामिनी ,गुहा स्थान की गुहेश्वरी , पूतना और कामिका लिंग की ,महिषवाहनी गुदा  की ,कमर की भगवती , घुटनों की विंध्यवासिनी, समस्त  कामनाओं को पूर्ण करने वाली महाबली देवी जंघाओं की रक्षा करें, घुंटीयो  की नारसिंगी, पैरों को पृष्ठ भाग की तैजसी देवी , पांवो की उंगलियों के श्रीधरी देवी ,तलुवों की स्थल वासनी देवी,ऊर्ध्वकेशनी केशो की , कौमारी रोमछिद्रो की ,वागीश्वरी त्वचा की रक्षा करे , रक्त ,मज़्ज़ा ,मॉस,अस्थि  तथा मेद की पार्वती देवी, कालरात्रि देवी आंतों की और मुक्तेश्वरी पित्त की,पदम कोष की पद्मावती, श्लेष्मा की चूड़ामणि देवी, ज्वालामुखी और समस्त संधियों की  देवी रक्षा करें, ब्राह्मणी मेरे शुक्र की,छत्रेश्वरी  देवी छाया की ,अहंकार ,मन, बुद्धि की धर्मधारानी देवी रक्षा करें ,प्राण,अपान,व्यान,समान  वायु की व्रजहस्ता देवी, कल्याण शोभना देवी मेरे प्राण की रक्षाकरें ,रस, रूप, गंध , शब्द और स्पर्श की योगिनी देवी तथा तमोगुण की नारायणी देवी रक्षा करें आयु की वाराही देवी,धर्म की वैष्णवी देवी रक्षा करें,चक्रणि   देवी यश की,विद्या की सदा रक्षा करें ,इंद्राणी मेरे गोत्र, चंडिका  मेरे  पशुओ की ,श्री महालक्ष्मी मेरे पुत्रों की, भैरवी मेरी पत्नी की रक्षा करें,सुपथा  देवी मार्ग  में आई हुई वि,पत्तियों से महालक्ष्मी दरबार में, विजय देवी सभी प्रकार  के भयो से  मेरी रक्षा करे,पाप का नाश करने वाली जयंती देवी रक्षा करें, अपना कल्याण चाहने वाले मनुष्य को कवच के बिना एक पल भी नहीं चलना चाहिए क्योंकि कवच से अपनी रक्षा करके जिस जिस कार्य की  इच्छा करता है उस उस  कार्य में  मनुष्य निश्चय ही सफलता प्राप्त करता है और वह  पुरुष स्मृति ऐश्वर्या को प्राप्त कर लेता है जिसने कर धारण करके रखा है वह युद्ध में निर्भय होकर विजय को प्राप्त होता है और तीनों लोकों में पूजनीय होता है

यह देवी का कवच देवताओं को दुर्लभ है जो मनुष्य श्रद्धा पूर्वक तीनो संध्याओं  के समय इस भगवती के पाठ को करता है उसे देवी कला प्राप्त होती है और वह तीनों लोकों में कहीं भी पराजित नहीं होता ,और उसके लुता ,विस्फोटक, नष्ट हो जाते हैं स्थावर,जगाम वह कृतिम विशदि, प्रयोग , तंत्र जो पृथ्वी पर है तथा जलचर प्राणी और उपदेशक  साथ में उत्पन्न हुए तथा कुक्षि में उत्पन्न होने वाले रोग शाकिनी डाकिनी नीच  देवता इस कवच को धारण करने से नष्ट हो जाते हैं अंतरिक्ष में गमन करने वाले महाबलशालिनी,डाकिनी,ग्रह ,पिशाच ,गन्धर्व ,राक्षस ब्रह्मराक्षस,बेताल कुष्मांडा ,भरवादिक, अनिष्टकारक देवता आदि देवी के इस कवच को हृदय में धारण करने वाले पुरुष को देखते ही भाग जाते हैं इस कवच को धारण करने से पुरुष के तेज में वृद्धि होती है तथा यश और कीर्ति भी बढ़ती है जो मनुष्य पहले इस कवच का पाठ करकेका पाठ करता है उसे मनुष्य की संतति पुत्र पत्र अधिक जब तक यह भूमंडल पर्वत वृक्ष वन को धारण किए हुए हैं तब तक पृथ्वी पर बनी रहती है ध्यान के बाद पुरुष परम पद को प्राप्त करता है जो देवताओं के लिए दुर्लभ है और दिव्य स्वरुप को प्राप्त होगा कल्याण में शिव जी के साथ आनंद का भाग होता है