NAVTATRI 2024 Shri Durga Saptashi chauthe Adhyaya  Ka Path / श्री दुर्गा सप्तशती  के चौथे  अध्याय का पाठ 

NAVTATRI 2024 SHRI DURGA SAPTASHI CHAUTHE ADHYAYA  KA PATH / श्री दुर्गा सप्तशती  के चौथे  अध्याय का पाठ 

NAVTATRI 2024 Shri Durga Saptashi chauthe Adhyaya  Ka Path / श्री दुर्गा सप्तशती  के चौथे  अध्याय का पाठ   Shri Durga Saptashi chauthe  Adhyaya  Ka Path /NAVRATRI 2024 नवरात्री में श्री दुर्गा सप्तशती के चौथे अध्याय का पाठ 

NAVRATRI  2024 नवरात्रि के चौथे दिन में सप्तशती पाठ में मां दुर्गा के चौथे स्वरूप का नाम कूष्मांडा है अपनी मंद हल्की मुस्कान द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कूष्मांडा पड़ा,नवरात्रों में चौथे दिन कूष्मांडा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में स्थित होता है अतः पवित्र मन से पूजा उपासना में कार्य लगाना चाहिए

NAVRATRI 2024 नवरात्रि के चौथे दिन में सप्तशती पाठ में मां की उपासना मनुष्य को स्वाभाविक रूप से भवसागर से पर उतरने के लिए सुगम और श्रेष्ठ मार्ग है,  NAVRATRI 2024माता कुष्मांडा की उपासना मनुष्य को आदि व्याधियों से विमुक्त करके उसे सुख समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाती है हम अपनी लौकिक ,पारलौकिक उन्नति चाहने वालों को कुष्मांडा देवी की उपासना में हमेशा तत्पर रहना चाहिए

NAVRATRI 2024 नवरात्रि के चौथे दिन में किए जाने वाले सप्तशी पाठ की व्याख्या किस प्रकार है

 

 इन्द्रादि देवताओं द्वारा देवी की स्तुति

NAVRATRI 2024 नवरात्रि के चौथे दिन में सप्तशती के चौथे पाठ में इन्द्रादि देवताओं की स्तुति  की गई है

NAVRATRI 2024 महर्षि मेधा बोले देवी ने जब पराक्रमी दुरात्मा महिषासुर को मार गिराया और असुरों की सेवा को मार गिराया तब इन्द्रादि  समस्त देवता अपने सर को झुककर भगवती की स्तुति करने लगे-जिस देवी ने अपनी शक्ति से यह जगत व्याप्त किया है और जो संपूर्ण देवताओं तथा महर्षियों की पूजनीय है उस अंबिका को हम भक्ति पूर्वक नमस्कार करते हैं

NAVRATRI 2024 वह हम सबका कल्याण करें,जिसके अतुल प्रभाव और बल का वर्णन भगवान विष्णु ,शंकर और ब्रह्मा जी भी नहीं कर सके ,वही चंडिका देवी इस संपूर्ण जगत का पालन करें और अशुभ भय का नाश करें,

NAVRATRI 2024 पुण्यआत्माओं के घरों में तुम लक्ष्मी स्वरूप हो और पापियों के घरों में तुम 

 अलक्ष्मी रूप हो और सतकुल में उत्पन्न होने वाले के लिए तुम लज्जा रूप होकर उनके घरों में निवास करती हो,हम उसे दुर्गा भगवती को नमस्कार करते हैं हे देवी ! इस विश्व का पालन करो हम तुम्हारे अचिन्तय रूप का किस प्रकार वर्णन करें ,असुरों के नाश करने वाली भारी पराक्रम तथा समस्त देत्यो के विषय में जो तुम्हारे पवित्र चरित्र हैं उनको हम किस प्रकार से वर्णन करें

NAVRATRI 2024 हे देवी ! त्रिगुणातिमिका होने पर भी तुम संपूर्ण जगत की उत्पत्ति का कारण हो,हे देवी!भगवान विष्णु शंकर आदि किसी भी देवता ने तुम्हारा पार नहीं पाया,तुम सबकी आश्रय हो यह संपूर्ण जगत तुम्हारा ही अंश रूप है,क्योंकि तुम सबकी आदि भूत प्रकृति हो,हे देवी तुम्हारे जी नाम के उच्चारण से संपूर्ण यज्ञों में सब देवता तृप्ति लाभ करते हैं वह स्वाहा तुम ही हो

NAVRATRI 2024 इसके अतिरिक्त तुम पितरों की तृप्ति का कारण हो,इसीलिए सब आपको स्वाधा  कहते हैं हे देवी ! वह विद्या जो मोक्ष को देने वाली है जो अचिन्तय महाज्ञान स्वरूप हैतत्वों के सार को वश में करने वाले,संपूर्ण दोषो  को दूर करने वाले,मोक्ष की इच्छा रखने वाले,मुनिजन  जिसका ध्यान करते हैं वह तुम ही हो,

 NAVRATRI 2024तुम वाणी रूप होऔर दोष रहित ऋग तथा यजुर्वेदों की एवं उदगीत और सुंदर पदों के पाठ वाले सामवेद की आश्रय रूप ह

NAVRATRI 2024 दुर्गा सप्तशती के चौथे अध्याय का पाठ

तुम भगवती हो,इस विश्व की उत्पत्ति एवं पालन के लिए तुम वार्ता के रूप में प्रकट हुई होऔर तुम संपूर्ण संसार की पीड़ा को हरने वाली हो ही देवी ! जिससे सारे शास्त्रों को जाना जाता हैवह मेधा शक्ति तुम ही होऔर दुर्गम भवसागर से पार करनेवाली हो ,लक्ष्मी रूप से विष्णु भगवान के हृदय में निवास करने वाली और भगवान महादेव द्वारा सम्मानित गौरी देवी तुम ही हो,मंद मुस्कान वाले,निर्मल पूर्ण चंद्र बिम्ब के समान और उत्तम,स्वर्ण की मनोहर क्रांति से कमनीय  तुम्हारे मुख को देख कर भी महिषासुर क्रोध में भर आया,यह बड़े आश्चर्य की बात है

 

NAVRATRI 2024 दुर्गा सप्तशती के चौथे अध्याय का पाठ

हे देवी ! तुम्हारा यह मुख जब क्रोध से भर गया तो उदय कार्य के चंद्रमा की भांति लाल हो गया और तनी हुई भौहों  के कारण विकराल रूप हो गया,उसे देखकर भी महिषासुर के शीघ्र प्राण नहीं निकल गए NAVRATRI 2024 यह बड़े आश्चर्य की बात है भला कौन जीवित रह सकता है हे देवी !तुम हमारे कल्याण के लिए प्रसन्न हो आपके प्रसन्न होने से जगत का अभ्युदय होता है और जब आप क्रुद्ध  हो जाती हो तो कितने ही कुलों का सर्वनाश हो जाता है

 

NAVRATRI 2024 यह हमने अभी-अभी जाना है कि जब तुमने महिषासुर की बड़ी सी को देखते-देखते मार दिया,हे  देवी ! सदा अभ्युदय देने वाली तुम जिस पर प्रसन्न हो जाती हो वही देश में सम्मानित होते हैं उनके धन यश की वृद्धि होती है उनका धर्म कभी शिथिल  नहीं होता और उनके यहां अधिक पुत्र पुत्रिया और नौकर होते हैं

 

NAVRATRI 2024 हे देवी तुम्हारी कृपा से ही धर्मात्मा पुरुष प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक यज्ञ करता है और धर्म अनुकूल आचरण करता हैऔर उसके प्रभाव से स्वर्ग लोक में जाता है क्योंकि तुम तीनों लोकों में मन वांछित फल देने वाली हो, हे  मां दुर्गे ! तुम स्मरण करने पर भी संपूर्ण जीवन के भय नष्ट कर देती हो और स्थिर चित वालों के द्वारा चिंतन करने पर उन्हें और अत्यंत मंगल देती हो, हे दारिद्रमुख  नाशिनी देवी ! क्या तुम दृष्टि पात्र मात्र से असुरों को भस्म नहीं कर सकती ? किंतु तुम्हारा शत्रुओं को शस्त्रों के द्वारा मारना इसीलिए है कि शस्त्रों के द्वारा मारकर वे स्वर्ग को जाएं,इस तरह से हे देवी ! तुम्हारे उग्र खड़क की चमक सेऔर त्रिशूल की नोक की कांति  की किरणों से असुरों की आंखें फूट नहीं गई

 

NAVRATRI 2024 इसका कारण यह था कि वह किरणों से शोभामयान तुम्हारे चंद्रमा के समान आनंद प्रदान करने वाले तुम्हारे मुख को देख रहे थे हे देवी! तुम्हारा शील बुरे वृत्तांत को दूर करने वाला है और सबसे अधिक तुम्हारा स्वरूप है जो ना तो कभी चिंतन में आ सकता है और ना जिसकी दूसरों से कभी तुलना भी हो सकती है तुम्हारा बल व पराक्रम शत्रुओं का नाश करने वाला है, इस तरह तुमने शत्रुओं पर भी दया प्रकट की है

 

NAVRATRI 2024 हे देवी तुम्हारे बल की किसके साथ बराबरी की जा सकती हैतथा शत्रुओं को भय  देने वाला इतना सुंदर रूप भी और किसका है हृदय में कृपा और युद्ध में निष्ठा यह दोनों बातें तीनों लोकों में केवल तुम ही में देखने में आती हैं हे माता! युद्ध भूमि में शत्रुओं को मार कर तुमने उसे स्वर्ग लोक पहुंचा दिया है इस तरह तीनों लोकों की तुमने रक्षा की है तथा उन उम्मत असुरों से जो हमें भय  था उसको भी तुमने दूर किया है

 

NAVRATRI 2024 तुमको हमारा नमस्कार हे  देवी ! तुम शूल  तथा खड़ग से हमारी रक्षा करो तथा घंटे की ध्वनि और धनुष की टंकोर  से भी हमारी रक्षा करो,है  आप अपने शूल  को घुमाकर पूर्व ,पश्चिम ,उत्तर तथा दक्षिण दिशा में हमारी रक्षा करो

तीनों लोकों में जो तुम्हारा सौम्य रूप हैंऔर घर रूप है उनसे हमारी रक्षा करो तथा इस पृथ्वी की रक्षा करो

 

NAVRATRI 2024 हे अंबिके ! आपके कर पल्लव में जो खड़क,शूल, और गदा आदि शस्त्र शोभा पा रहे हैं उनसे हमारी रक्षा करो महर्षि बोले कि इस प्रकार जब देवताओं ने जगत माता भगवती की स्तुति की और नंदनवन के पुष्पों तथा गढ़ अनुलेपनो  द्वारा उनका पूजन किया और फिर सपने मिलकर जब सुगंधित और अनुलेपनो   द्वारा उनको सुगंधी निवेदन की,तब देवी ने प्रसन्न होकर कहा है देवताओं तुम सब मुझे मन वांछित व मांगो ,देवता बोले, हे  भगवती ! तुमने हमारा सब कुछ कार्य किया,अब हमारे लिए कुछ भी मांगना नहीं रहा,क्योंकि तुमने हमारे शत्रु महिषासुर को मार डाला है हे महेश्वरी! तुम इस पर भी हमें यदि कोई वर  देना चाहती हो तो बस इतना व दो कि जब-जब हम आपको याद करें तब तब आप हमारी विपत्तियों को दूर करने के लिए हमें दर्शन दिया करें

 

NAVRATRI 2024 हे अंबिके जो कोई भी तुम्हारी स्तुति करें तुम उनको धन समृद्धि और वैभव देने के साथ उनके धन और स्त्रीसंपत्ति को बढ़ाएं और सदा हम पर प्रसन्न रहें महर्षि बोले, हे राजन ! देवताओं ने जब जगत के लिए तथा अपने लिए इस प्रकार प्रश्न किया तो बस तथास्तु कहकर देवी अंतर ध्यान हो गई

 

NAVRATRI 2024 हे भूप ! जिस प्रकार तीनों लोकों का हित चाहने वाली वह भगवती देवताओं के शरीर से उत्पन्न हुई थी वह सारा वृत्तांत मैं कह दिया है दुष्ट,असुरों तथा शुंभ निशुंभ का वध करने और सब लोगों की रक्षा करने के लिए जिस प्रकार गौरी देवी के शरीर से उत्पन्न हुई वह सारा वृत्तांत में वर्णन करता हूं


NAVRATRI 2024 तुम भगवती हो,इस विश्व की उत्पत्ति एवं पालन के लिए तुम वार्ता के रूप में प्रकट हुई होऔर तुम संपूर्ण संसार की पीड़ा को हरने वाली हो ही देवी ! जिससे सारे शास्त्रों को जाना जाता हैवह मेधा शक्ति तुम ही होऔर दुर्गम भवसागर से पार करनेवाली हो ,लक्ष्मी रूप से विष्णु भगवान के हृदय में निवास करने वाली और भगवान महादेव द्वारा सम्मानित गौरी देवी तुम ही हो,मंद मुस्कान वाले,निर्मल पूर्ण चंद्र बिम्ब के समान और उत्तम,स्वर्ण की मनोहर क्रांति से कमनीय  तुम्हारे मुख को देख कर भी महिषासुर क्रोध में भर आया,यह बड़े आश्चर्य की बात है

 

NAVRATRI 2024 हे देवी ! तुम्हारा यह मुख जब क्रोध से भर गया तो उदय कार्य के चंद्रमा की भांति लाल हो गया और तनी हुई भौहों  के कारण विकराल रूप हो गया,उसे देखकर भी महिषासुर के शीघ्र प्राण नहीं निकल गए यह बड़े आश्चर्य की बात है भला कौन जीवित रह सकता है हे देवी !तुम हमारे कल्याण के लिए प्रसन्न हो आपके प्रसन्न होने से जगत का अभ्युदय होता है और जब आप क्रुद्ध  हो जाती हो तो कितने ही कुलों का सर्वनाश हो जाता है

 

NAVRATRI 2024 यह हमने अभी-अभी जाना है कि जब तुमने महिषासुर की बड़ी सी को देखते-देखते मार दिया,हे  देवी ! सदा अभ्युदय देने वाली तुम जिस पर प्रसन्न हो जाती हो वही देश में सम्मानित होते हैं उनके धन यश की वृद्धि होती है उनका धर्म कभी शिथिल  नहीं होता और उनके यहां अधिक पुत्र पुत्रिया और नौकर होते हैं

 

NAVRATRI 2024 हे देवी तुम्हारी कृपा से ही धर्मात्मा पुरुष प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक यज्ञ करता है और धर्म अनुकूल आचरण करता हैऔर उसके प्रभाव से स्वर्ग लोक में जाता है क्योंकि तुम तीनों लोकों में मन वांछित फल देने वाली हो, हे  मां दुर्गे ! तुम स्मरण करने पर भी संपूर्ण जीवन के भय नष्ट कर देती हो और स्थिर चित वालों के द्वारा चिंतन करने पर उन्हें और अत्यंत मंगल देती हो, हे दारिद्रमुख  नाशिनी देवी ! क्या तुम दृष्टि पात्र मात्र से असुरों को भस्म नहीं कर सकती ? किंतु तुम्हारा शत्रुओं को शस्त्रों के द्वारा मारना इसीलिए है कि शस्त्रों के द्वारा मारकर वे स्वर्ग को जाएं,इस तरह से हे देवी ! तुम्हारे उग्र खड़क की चमक सेऔर त्रिशूल की नोक की कांति  की किरणों से असुरों की आंखें फूट नहीं गई

 

इसका कारण यह था कि वह किरणों से शोभामयान तुम्हारे चंद्रमा के समान आनंद प्रदान करने वाले तुम्हारे मुख को देख रहे थे हे देवी! तुम्हारा शील बुरे वृत्तांत को दूर करने वाला है और सबसे अधिक तुम्हारा स्वरूप है जो ना तो कभी चिंतन में आ सकता है और ना जिसकी दूसरों से कभी तुलना भी हो सकती है तुम्हारा बल व पराक्रम शत्रुओं का नाश करने वाला है, इस तरह तुमने शत्रुओं पर भी दया प्रकट की है

 

NAVRATRI 2024 हे देवी तुम्हारे बल की किसके साथ बराबरी की जा सकती हैतथा शत्रुओं को भय  देने वाला इतना सुंदर रूप भी और किसका है हृदय में कृपा और युद्ध में निष्ठा यह दोनों बातें तीनों लोकों में केवल तुम ही में देखने में आती हैं हे माता! युद्ध भूमि में शत्रुओं को मार कर तुमने उसे स्वर्ग लोक पहुंचा दिया है इस तरह तीनों लोकों की तुमने रक्षा की है तथा उन उम्मत असुरों से जो हमें भय  था उसको भी तुमने दूर किया है

 

NAVRATRI 2024 तुमको हमारा नमस्कार हे  देवी ! तुम शूल  तथा खड़ग से हमारी रक्षा करो तथा घंटे की ध्वनि और धनुष की टंकोर  से भी हमारी रक्षा करो,है  आप अपने शूल  को घुमाकर पूर्व ,पश्चिम ,उत्तर तथा दक्षिण दिशा में हमारी रक्षा करो

NAVRATRI 2024 तीनों लोकों में जो तुम्हारा सौम्य रूप हैंऔर घर रूप है उनसे हमारी रक्षा करो तथा इस पृथ्वी की रक्षा करो

 

हे अंबिके ! आपके कर पल्लव में जो खड़क,शूल, और गदा आदि शस्त्र शोभा पा रहे हैं उनसे हमारी रक्षा करो महर्षि बोले कि इस प्रकार जब देवताओं ने जगत माता भगवती की स्तुति की और नंदनवन के पुष्पों तथा गढ़ अनुलेपनो  द्वारा उनका पूजन किया और फिर सपने मिलकर जब सुगंधित और अनुलेपनो   द्वारा उनको सुगंधी निवेदन की,तब देवी ने प्रसन्न होकर कहा है देवताओं तुम सब मुझे मन वांछित व मांगो ,देवता बोले, हे  भगवती ! तुमने हमारा सब कुछ कार्य किया,अब हमारे लिए कुछ भी मांगना नहीं रहा,क्योंकि तुमने हमारे शत्रु महिषासुर को मार डाला है हे महेश्वरी! तुम इस पर भी हमें यदि कोई वर  देना चाहती हो तो बस इतना व दो कि जब-जब हम आपको याद करें तब तब आप हमारी विपत्तियों को दूर करने के लिए हमें दर्शन दिया करें

 

NAVRATRI 2024 हे अंबिके जो कोई भी तुम्हारी स्तुति करें तुम उनको धन समृद्धि और वैभव देने के साथ उनके धन और स्त्रीसंपत्ति को बढ़ाएं और सदा हम पर प्रसन्न रहें महर्षि बोले, हे राजन ! देवताओं ने जब जगत के लिए तथा अपने लिए इस प्रकार प्रश्न किया तो बस तथास्तु कहकर देवी अंतर ध्यान हो गई

 

NAVRATRI 2024 हे भूप ! जिस प्रकार तीनों लोकों का हित चाहने वाली वह भगवती देवताओं के शरीर से उत्पन्न हुई थी वह सारा वृत्तांत मैं कह दिया है दुष्ट,असुरों तथा शुंभ निशुंभ का वध करने और सब लोगों की रक्षा करने के लिए जिस प्रकार गौरी देवी के शरीर से उत्पन्न हुई वह सारा वृत्तांत में वर्णन करता हूं


NAVRATRI 2024 तुम भगवती हो,इस विश्व की उत्पत्ति एवं पालन के लिए तुम वार्ता के रूप में प्रकट हुई होऔर तुम संपूर्ण संसार की पीड़ा को हरने वाली हो ही देवी ! जिससे सारे शास्त्रों को जाना जाता हैवह मेधा शक्ति तुम ही होऔर दुर्गम भवसागर से पार करनेवाली हो ,लक्ष्मी रूप से विष्णु भगवान के हृदय में निवास करने वाली और भगवान महादेव द्वारा सम्मानित गौरी देवी तुम ही हो,मंद मुस्कान वाले,निर्मल पूर्ण चंद्र बिम्ब के समान और उत्तम,स्वर्ण की मनोहर क्रांति से कमनीय  तुम्हारे मुख को देख कर भी महिषासुर क्रोध में भर आया,यह बड़े आश्चर्य की बात है

 

NAVRATRI 2024 हे देवी ! तुम्हारा यह मुख जब क्रोध से भर गया तो उदय कार्य के चंद्रमा की भांति लाल हो गया और तनी हुई भौहों  के कारण विकराल रूप हो गया,उसे देखकर भी महिषासुर के शीघ्र प्राण नहीं निकल गए यह बड़े आश्चर्य की बात है भला कौन जीवित रह सकता है हे देवी !तुम हमारे कल्याण के लिए प्रसन्न हो आपके प्रसन्न होने से जगत का अभ्युदय होता है और जब आप क्रुद्ध  हो जाती हो तो कितने ही कुलों का सर्वनाश हो जाता है

 

NAVRATRI 2024 यह हमने अभी-अभी जाना है कि जब तुमने महिषासुर की बड़ी सी को देखते-देखते मार दिया,हे  देवी ! सदा अभ्युदय देने वाली तुम जिस पर प्रसन्न हो जाती हो वही देश में सम्मानित होते हैं उनके धन यश की वृद्धि होती है उनका धर्म कभी शिथिल  नहीं होता और उनके यहां अधिक पुत्र पुत्रिया और नौकर होते हैं

 

NAVRATRI 2024 हे देवी तुम्हारी कृपा से ही धर्मात्मा पुरुष प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक यज्ञ करता है और धर्म अनुकूल आचरण करता हैऔर उसके प्रभाव से स्वर्ग लोक में जाता है क्योंकि तुम तीनों लोकों में मन वांछित फल देने वाली हो, हे  मां दुर्गे ! तुम स्मरण करने पर भी संपूर्ण जीवन के भय नष्ट कर देती हो और स्थिर चित वालों के द्वारा चिंतन करने पर उन्हें और अत्यंत मंगल देती हो, हे दारिद्रमुख  नाशिनी देवी ! क्या तुम दृष्टि पात्र मात्र से असुरों को भस्म नहीं कर सकती ? किंतु तुम्हारा शत्रुओं को शस्त्रों के द्वारा मारना इसीलिए है कि शस्त्रों के द्वारा मारकर वे स्वर्ग को जाएं,इस तरह से हे देवी ! तुम्हारे उग्र खड़क की चमक सेऔर त्रिशूल की नोक की कांति  की किरणों से असुरों की आंखें फूट नहीं गई

 

NAVRATRI 2024 इसका कारण यह था कि वह किरणों से शोभामयान तुम्हारे चंद्रमा के समान आनंद प्रदान करने वाले तुम्हारे मुख को देख रहे थे हे देवी! तुम्हारा शील बुरे वृत्तांत को दूर करने वाला है और सबसे अधिक तुम्हारा स्वरूप है जो ना तो कभी चिंतन में आ सकता है और ना जिसकी दूसरों से कभी तुलना भी हो सकती है तुम्हारा बल व पराक्रम शत्रुओं का नाश करने वाला है, इस तरह तुमने शत्रुओं पर भी दया प्रकट की है

 

NAVRATRI 2024 हे देवी तुम्हारे बल की किसके साथ बराबरी की जा सकती हैतथा शत्रुओं को भय  देने वाला इतना सुंदर रूप भी और किसका है हृदय में कृपा और युद्ध में निष्ठा यह दोनों बातें तीनों लोकों में केवल तुम ही में देखने में आती हैं हे माता! युद्ध भूमि में शत्रुओं को मार कर तुमने उसे स्वर्ग लोक पहुंचा दिया है इस तरह तीनों लोकों की तुमने रक्षा की है तथा उन उम्मत असुरों से जो हमें भय  था उसको भी तुमने दूर किया है

 

NAVRATRI 2024 तुमको हमारा नमस्कार हे  देवी ! तुम शूल  तथा खड़ग से हमारी रक्षा करो तथा घंटे की ध्वनि और धनुष की टंकोर  से भी हमारी रक्षा करो,है  आप अपने शूल  को घुमाकर पूर्व ,पश्चिम ,उत्तर तथा दक्षिण दिशा में हमारी रक्षा करो

NAVRATRI 2024 तीनों लोकों में जो तुम्हारा सौम्य रूप हैंऔर घर रूप है उनसे हमारी रक्षा करो तथा इस पृथ्वी की रक्षा करो

 

NAVRATRI 2024 हे अंबिके ! आपके कर पल्लव में जो खड़क,शूल, और गदा आदि शस्त्र शोभा पा रहे हैं उनसे हमारी रक्षा करो महर्षि बोले कि इस प्रकार जब देवताओं ने जगत माता भगवती की स्तुति की और नंदनवन के पुष्पों तथा गढ़ अनुलेपनो  द्वारा उनका पूजन किया और फिर सपने मिलकर जब सुगंधित और अनुलेपनो   द्वारा उनको सुगंधी निवेदन की,तब देवी ने प्रसन्न होकर कहा है देवताओं तुम सब मुझे मन वांछित व मांगो ,देवता बोले, हे  भगवती ! तुमने हमारा सब कुछ कार्य किया,अब हमारे लिए कुछ भी मांगना नहीं रहा,क्योंकि तुमने हमारे शत्रु महिषासुर को मार डाला है हे महेश्वरी! तुम इस पर भी हमें यदि कोई वर  देना चाहती हो तो बस इतना व दो कि जब-जब हम आपको याद करें तब तब आप हमारी विपत्तियों को दूर करने के लिए हमें दर्शन दिया करें

 

NAVRATRI 2024 हे अंबिके जो कोई भी तुम्हारी स्तुति करें तुम उनको धन समृद्धि और वैभव देने के साथ उनके धन और स्त्रीसंपत्ति को बढ़ाएं और सदा हम पर प्रसन्न रहें महर्षि बोले, हे राजन ! देवताओं ने जब जगत के लिए तथा अपने लिए इस प्रकार प्रश्न किया तो बस तथास्तु कहकर देवी अंतर ध्यान हो गई

 

NAVRATRI 2024 हे भूप ! जिस प्रकार तीनों लोकों का हित चाहने वाली वह भगवती देवताओं के शरीर से उत्पन्न हुई थी वह सारा वृत्तांत मैं कह दिया है दुष्ट,असुरों तथा शुंभ निशुंभ का वध करने और सब लोगों की रक्षा करने के लिए जिस प्रकार गौरी देवी के शरीर से उत्पन्न हुई वह सारा वृत्तांत में वर्णन करता हूं


NAVRATRI 2024 तुम भगवती हो,इस विश्व की उत्पत्ति एवं पालन के लिए तुम वार्ता के रूप में प्रकट हुई होऔर तुम संपूर्ण संसार की पीड़ा को हरने वाली हो ही देवी ! जिससे सारे शास्त्रों को जाना जाता हैवह मेधा शक्ति तुम ही होऔर दुर्गम भवसागर से पार करनेवाली हो ,लक्ष्मी रूप से विष्णु भगवान के हृदय में निवास करने वाली और भगवान महादेव द्वारा सम्मानित गौरी देवी तुम ही हो,मंद मुस्कान वाले,निर्मल पूर्ण चंद्र बिम्ब के समान और उत्तम,स्वर्ण की मनोहर क्रांति से कमनीय  तुम्हारे मुख को देख कर भी महिषासुर क्रोध में भर आया,यह बड़े आश्चर्य की बात है

NAVRATRI 2024 हे देवी ! तुम्हारा यह मुख जब क्रोध से भर गया तो उदय कार्य के चंद्रमा की भांति लाल हो गया और तनी हुई भौहों  के कारण विकराल रूप हो गया,उसे देखकर भी महिषासुर के शीघ्र प्राण नहीं निकल गए यह बड़े आश्चर्य की बात है भला कौन जीवित रह सकता है हे देवी !तुम हमारे कल्याण के लिए प्रसन्न हो आपके प्रसन्न होने से जगत का अभ्युदय होता है और जब आप क्रुद्ध  हो जाती हो तो कितने ही कुलों का सर्वनाश हो जाता है

NAVRATRI 2024 यह हमने अभी-अभी जाना है कि जब तुमने महिषासुर की बड़ी सी को देखते-देखते मार दिया,हे  देवी ! सदा अभ्युदय देने वाली तुम जिस पर प्रसन्न हो जाती हो वही देश में सम्मानित होते हैं उनके धन यश की वृद्धि होती है उनका धर्म कभी शिथिल  नहीं होता और उनके यहां अधिक पुत्र पुत्रिया और नौकर होते हैं

NAVRATRI 2024 हे देवी तुम्हारी कृपा से ही धर्मात्मा पुरुष प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक यज्ञ करता है और धर्म अनुकूल आचरण करता हैऔर उसके प्रभाव से स्वर्ग लोक में जाता है क्योंकि तुम तीनों लोकों में मन वांछित फल देने वाली हो, हे  मां दुर्गे ! तुम स्मरण करने पर भी संपूर्ण जीवन के भय नष्ट कर देती हो और स्थिर चित वालों के द्वारा चिंतन करने पर उन्हें और अत्यंत मंगल देती हो, हे दारिद्रमुख  नाशिनी देवी ! क्या तुम दृष्टि पात्र मात्र से असुरों को भस्म नहीं कर सकती ? किंतु तुम्हारा शत्रुओं को शस्त्रों के द्वारा मारना इसीलिए है कि शस्त्रों के द्वारा मारकर वे स्वर्ग को जाएं,इस तरह से हे देवी ! तुम्हारे उग्र खड़क की चमक सेऔर त्रिशूल की नोक की कांति  की किरणों से असुरों की आंखें फूट नहीं गई

NAVRATRI 2024 इसका कारण यह था कि वह किरणों से शोभामयान तुम्हारे चंद्रमा के समान आनंद प्रदान करने वाले तुम्हारे मुख को देख रहे थे हे देवी! तुम्हारा शील बुरे वृत्तांत को दूर करने वाला है और सबसे अधिक तुम्हारा स्वरूप है जो ना तो कभी चिंतन में आ सकता है और ना जिसकी दूसरों से कभी तुलना भी हो सकती है तुम्हारा बल व पराक्रम शत्रुओं का नाश करने वाला है, इस तरह तुमने शत्रुओं पर भी दया प्रकट की है

NAVRATRI 2024 हे देवी तुम्हारे बल की किसके साथ बराबरी की जा सकती हैतथा शत्रुओं को भय  देने वाला इतना सुंदर रूप भी और किसका है हृदय में कृपा और युद्ध में निष्ठा यह दोनों बातें तीनों लोकों में केवल तुम ही में देखने में आती हैं हे माता! युद्ध भूमि में शत्रुओं को मार कर तुमने उसे स्वर्ग लोक पहुंचा दिया है इस तरह तीनों लोकों की तुमने रक्षा की है तथा उन उम्मत असुरों से जो हमें भय  था उसको भी तुमने दूर किया है

NAVRATRI 2024 तुमको हमारा नमस्कार हे  देवी ! तुम शूल  तथा खड़ग से हमारी रक्षा करो तथा घंटे की ध्वनि और धनुष की टंकोर  से भी हमारी रक्षा करो,है  आप अपने शूल  को घुमाकर पूर्व ,पश्चिम ,उत्तर तथा दक्षिण दिशा में हमारी रक्षा करो

तीनों लोकों में जो तुम्हारा सौम्य रूप हैंऔर घर रूप है उनसे हमारी रक्षा करो तथा इस पृथ्वी की रक्षा करो

NAVRATRI 2024 हे अंबिके ! आपके कर पल्लव में जो खड़क,शूल, और गदा आदि शस्त्र शोभा पा रहे हैं उनसे हमारी रक्षा करो महर्षि बोले कि इस प्रकार जब देवताओं ने जगत माता भगवती की स्तुति की और नंदनवन के पुष्पों तथा गढ़ अनुलेपनो  द्वारा उनका पूजन किया और फिर सपने मिलकर जब सुगंधित और अनुलेपनो   द्वारा उनको सुगंधी निवेदन की,तब देवी ने प्रसन्न होकर कहा है देवताओं तुम सब मुझे मन वांछित व मांगो ,देवता बोले, हे  भगवती ! तुमने हमारा सब कुछ कार्य किया,अब हमारे लिए कुछ भी मांगना नहीं रहा,क्योंकि तुमने हमारे शत्रु महिषासुर को मार डाला है हे महेश्वरी! तुम इस पर भी हमें यदि कोई वर  देना चाहती हो तो बस इतना व दो कि जब-जब हम आपको याद करें तब तब आप हमारी विपत्तियों को दूर करने के लिए हमें दर्शन दिया करें

NAVRATRI 2024 हे अंबिके जो कोई भी तुम्हारी स्तुति करें तुम उनको धन समृद्धि और वैभव देने के साथ उनके धन और स्त्रीसंपत्ति को बढ़ाएं और सदा हम पर प्रसन्न रहें महर्षि बोले, हे राजन ! देवताओं ने जब जगत के लिए तथा अपने लिए इस प्रकार प्रश्न किया तो बस तथास्तु कहकर देवी अंतर ध्यान हो गई

NAVRATRI 2024 हे भूप ! जिस प्रकार तीनों लोकों का हित चाहने वाली वह भगवती देवताओं के शरीर से उत्पन्न हुई थी वह सारा वृत्तांत मैं कह दिया है दुष्ट,असुरों तथा शुंभ निशुंभ का वध करने और सब लोगों की रक्षा करने के लिए जिस प्रकार गौरी देवी के शरीर से उत्पन्न हुई वह सारा वृत्तांत में वर्णन करता हूं

NAVRATRI 2024 दुर्गा सप्तशती के चौथे अध्याय का पाठ

NAVTATRI 2024 Shri Durga Saptashi chauthe Adhyaya  Ka Path / श्री दुर्गा सप्तशती  के चौथे  अध्याय का पाठ   Shri Durga Saptashi chauthe  Adhyaya  Ka Path /NAVRATRI 2024 नवरात्री में श्री दुर्गा सप्तशती के चौथे अध्याय का पाठ 

NAVRATRI  2024 नवरात्रि के चौथे दिन में सप्तशती पाठ में मां दुर्गा के चौथे स्वरूप का नाम कूष्मांडा है अपनी मंद हल्की मुस्कान द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कूष्मांडा पड़ा,नवरात्रों में चौथे दिन कूष्मांडा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में स्थित होता है अतः पवित्र मन से पूजा उपासना में कार्य लगाना चाहिए

NAVRATRI 2024 नवरात्रि के चौथे दिन में सप्तशती पाठ में मां की उपासना मनुष्य को स्वाभाविक रूप से भवसागर से पर उतरने के लिए सुगम और श्रेष्ठ मार्ग है,  NAVRATRI 2024माता कुष्मांडा की उपासना मनुष्य को आदि व्याधियों से विमुक्त करके उसे सुख समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाती है हम अपनी लौकिक ,पारलौकिक उन्नति चाहने वालों को कुष्मांडा देवी की उपासना में हमेशा तत्पर रहना चाहिए

NAVRATRI 2024 नवरात्रि के चौथे दिन में किए जाने वाले सप्तशी पाठ की व्याख्या किस प्रकार है