NAVRATRI 2024 Shri Durga Saptashi Chatha  Adhyaya  Ka Path /श्री दुर्गा सप्तशती  के छठा  अध्याय का पाठ 

NAVRATRI 2024 Shri Durga Saptashi hatha  Adhyaya  Ka Path /श्री दुर्गा सप्तशती  के छठा  अध्याय का पाठ 

      NAVRATRI 2024  Durga Saptashi Chatha  Adhyaya   दुर्गा जी के छठे स्वरूप को कान्त्यायनी कहते हैं कान्त्यायनी महर्षि कान्त्यायन  की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनके यहां पुत्री के रूप में पैदा हुई थी महर्षि ने NAVRATRI 2024 सर्वप्रथम इनकी पूजा की थी इसीलिए यह कान्त्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुई, यह अमोघ फलदायिनी है 

NAVRATRI 2024 इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में रहता है योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है इस चक्र में स्थित मां वाला साधक मां के चरणों में अपना सब कुछ न्योछावर कर देता है भक्तों को सहज भाव से मां के दर्शन प्राप्त होते हैं इनका साधक इस लोक में रहते हुए भी अलौकिक तेज से युक्त हो जाता है

NAVRATRI 2024 Durga Saptashi Chatha  Adhyaya माता के इस स्वरूप की उपासना करने से अविवाहित लोगों के विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती है। इनकी चार भुजाएं हैं, इनका वाहन सिंह है। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।  ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में गोपियों ने भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा की थी। अगर कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो तो मां कात्यायनी की उपासना करनी चाहिए। NAVRATRI 2024  

NAVRATRI 2024  Durga Saptashi Chatha  Adhyaya नवरात्रि के छठे दिन की देवी हैं मां कात्यायनी को इसलिए इस दिन प्रसाद में शहद का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा माता को मालपुआ का भोग भी प्रिय है। इनकी पूजा से सुंदर रूप प्राप्त होता है। यह देवी विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करती हैं।

NAVRATRI 2024  Durga Saptashi Chatha  Adhyaya मान्यता है की मां का व्रत विधिवत्त उपासना करने पर मनचाहे वर की प्राप्ति भी होती है मां कामिनी को लाल रंग अति प्रिय है इस दिन लाल रंग के गुलाब या गुड़हल के फूल मां भगवती को अर्पित करना मंगलकारी होता है ऐसा करने से मन की विशेष कृपा भक्तजनों को प्राप्त होती है

NAVRATRI 2024 मान्यता है कि मां कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए 3 से 4 पुष्प लेकर निम्नलिखित मंत्र का जप 108 बार करना फलदायी होता है। मंत्र जप के बाद उन्हें पुष्प अर्पित करना चाहिए। कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां। स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते॥

NAVRATRI 2024 देवी कात्यायिनी रोग और शोक को दूर करके आयु और समृद्धि भी प्रदान करती हैं। चंद्रहासोज्ज्वलकरा, शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातनी।। इस मंत्र से देवी का ध्यान करना चाहिए।

                                                                                          NAVRATRI 2024  मां कात्यायनी का  स्वरूप- 

मां कात्यायनी के स्वरूप की बात की जाए तो इनका शरीर सोने जैसा सुनहरा और चमकदार है। मां 4 भुजाधारी और सिंह पर सवार हैं। उन्होंने एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प धारण किया हुआ है। अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं। यह देवी माता के स्नेह और शक्ति का सम्मिलित रूप हैं।

NAVRATRI 2024  Durga Saptashi Chatha  Adhyaya ऐसी मान्यता है कि देवी के छठे स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा भगवान राम और श्रीकृष्ण ने भी की थी। पौराणिक कथाओं अनुसार ब्रज की गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण को पाने के लिए देवी के इस स्वरूप की पूजा की थी। देवी भागवत, मार्कण्डेय और स्कंद पुराण में देवी कात्यायनी की कथा मिलती है। पुराणों के अनुसार ऋषि कात्यायन के यहां माता ने जन्म लिया था। ऋषि जानते थे कि, माता ही वरदान के कारण पुत्री रूप में उनके घर प्रकट हुई हैं। ऋषि ने देवी की प्रथम पूजा की और वह देवी कात्यायन ऋषि की पुत्री होने के कारण कात्यायनी कहलाईं।

NAVRATRI 2024 धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, Durga Saptashi Chatha  Adhyaya माँ कात्यायनी की पूजा करने से मन की शक्ति मजबूत होती  है और साधक इन्द्रियों को वश में कर सकता है। अविवाहितों को देवी की पूजा करने से अच्छे जीवनसाथी प्राप्त होता है। 

NAVRATRI 2024  Durga Saptashi Chatha  Adhyaya में  बताया गया है मां कात्यायनी को शहद अति प्रिय है। इसलिए पूजा में देवी को शुद्ध शहद अर्पित करें। इसके बाद पूरे भक्ति भाव से देवी का मंत्र पढ़ें। मन में जो मनोकामना हो उसे दोहराते हुए देवी से आशीर्वाद मांगें।

NAVRATRI 2024  Durga Saptashi Chatha  Adhyaya  के इस अध्याय का पाठ किसी भी प्रकार की तंत्र बाधा को हटाने के लिए किया जाता है । इसके अतिरिक्त यदि आपको लगता है कि आपके ऊपर जादू-टोना किया गया हो, आपके परिवार को बांध दिया हो, या राहु और केतु से आप पीड़ित हो तो छठवें अध्याय का पाठ इन सभी कष्टों से आपको मुक्ति दिलाता है।

NAVRATRI 2024  मैं सर्वज्ञेश्वर भैरव के अंगमें निवास करनेवाली, परमोत्कृष्ट पद्मावती देवीका चिन्तन करता (करती) हूँ। वे नागराजके आसनपर बैठी हैं, नागोंके फणोंमें सुशोभित होनेवाली मणियोंकी, विशाल मालासे उनकी देहलता सुशोभित हो रही है। सूर्यके समान उनका तेज है, तीन नेत्र उनकी शोभा बढ़ा रहे हैं। वे हाथोंमें, माला, कुम्भ, कपाल और कमल लिये हुए हैं तथा उनके मस्तकमें, अर्धचन्द्रका मुकुट सुशोभित है। दैत्य धूम्रलोचन का संहार शुम्भ, धूम्रलोचन को, देवी माँ के पास भेजता है

NAVRATRI 2024  Shri Durga Saptashi Chatha  Adhyaya  Ka Path /श्री दुर्गा सप्तशती  के छठा अध्याय का पाठ 

NAVRATRI 2024  Durga Saptashi Chatha  Adhyaya में  बताया गया है ऋषि कहते हैं – देवी की बात सुनकर दूत क्रोध में भरा हुआ वहाँ से असुरेन्द्र के पास पहुँचा और सारा वृतान्त उसे कह सुनाया। दूत की बात सुन असुरेन्द्र के क्रोध का पारावर न रहा और उसने अपने सेनापति धूम्रलोचन से कहा-धूम्रलोचन 

NAVRATRI 2024 धूम्रलोचन ! तुम शीघ्र अपनी सेना साथ लेकर जाओ और उस दुष्टाके केश पकड़कर घसीटते हुए उसे बलपूर्वक यहाँ ले आओ । उसकी रक्षा करनेके लिये यदि कोई दूसरा खड़ा हो तो वह देवता, यक्ष अथवा गन्धर्व ही क्यों न हो, उसे अवश्य मार डालना ‘ 

NAVRATRI 2024 Durga Saptashi Chatha  Adhyaya में  बताया गया है शुम्भके इस प्रकार आज्ञा देने पर वह धूम्रलोचन दैत्य साठ हजार असुरोंकी सेना को साथ लेकर वहाँसे तुरंत चल दिया । वहाँ पहुँचकर उसने हिमालयपर रहने वाली देवी को देखा और ललकारकर कहा- ‘अरी ! तू शुम्भ-निशुम्भके पास चल। यदि इस समय प्रसन्नतापूर्वक मेरे स्वामीके समीप नहीं चलेगी तो मैं बलपूर्वक झोंटा पकड़कर घसीटते हुए तुझे ले चलूँगा’ 

NAVRATRI 2024 तुम्हें दैत्योंके राजाने भेजा है, तुम स्वयं भी बलवान् हो और तुम्हारे साथ विशाल सेना भी है; ऐसी दशामें यदि मुझे बलपूर्वक ले चलोगे तो मैं तुम्हारा क्या कर सकती हूँ? 

NAVRATRI 2024 असुर धूम्रलोचन उनकी ओर दौड़ा, तब अम्बिकाने “हुं” शब्दके उच्चारण मात्र से, उसे भस्म कर दिया। फिर तो क्रोधमें भरी हुई दैत्योंकी विशाल सेना और अम्बिकाने 

NAVRATRI 2024  Shri Durga Saptashi Chatha  Adhyaya  Ka Path /श्री दुर्गा सप्तशती  के छठा अध्याय का पाठ 

NAVRATRI 2024  Durga Saptashi Chatha  Adhyaya में  बताया गया है की एक-दूसरे पर तीखे शस्त्रों, शक्तियों तथा फरसोंकी वर्षा आरम्भ की। देवीके वाहन सिंह ने, असुरों की सेना का संहार किया ! इतनेमें ही देवीका वाहन सिंह, क्रोधमें भरकर, भयंकर गर्जना करके, गर्दनके बालोंको हिलाता हुआ असुरोंकी सेना में कूद पड़ा।  उसने कुछ दैत्योंको पंजोंकी मार से, कितनोंको अपने जबड़ों से और कितने ही महादैत्यों को पटककर, ओठकी दाढोसे घायल करके मार डाला।  उस सिंहने, अपने नखों से कितनोंके पेट फाड़ डाले और थप्पड मारकर, कितनोंके सिर, धडसे अलग कर दिये। ॥ 

NAVRATRI 2024 Shri Durga Saptashi Chatha  Adhyaya  Ka Path /श्री दुर्गा सप्तशती  के छठा अध्याय का पाठ 

कितनोंकी भुजाएँ और मस्तक काट डाले तथा अपनी गर्दनके बाल हिलाते हुए, उसने दूसरे दैत्योंके पेट फाड़कर उनका रक्त चूस लिया।  अत्यन्त क्रोधमें भरे हुए, देवीके वाहन, उस महाबली सिंहने, क्षणभरमें ही, असुरोंकी सारी सेनाका संहार कर डाला। शुम्भ को, धूम्रलोचन के वध का पता चलता है  शुम्भने जब सुना कि देवीने धूम्रलोचन असुरको मार डाला तथा उसके सिंहने सारी सेनाका सफाया कर डाला, 

NAVRATRI 2024  Durga Saptashi Chatha  Adhyaya में  बताया गया है ‘हे चण्ड ! और हे मुण्ड! तुमलोग बहुत बड़ी सेना लेकर वहाँ जाओ, उस देवी के झोटे पकड़कर अथवा उसे बाँधकर शीघ्र यहाँ ले आओ। यदि इस प्रकार उसको लाने में संदेह हो तो युद्ध में सब प्रकारके अस्त्र-शस्त्रों तथा समस्त आसुरी सेना का प्रयोग करके उसकी हत्या कर डालना ! उसकी हत्या होने तथा सिंहके भी मारे जानेपर, उस अम्बिकाको बाँधकर साथ ले, शीघ्र ही लौट आना