NAVRATRI 2024 Shri Durga Saptashi  Panchawa Adhyaya  Ka Path /श्री दुर्गा सप्तशती  के पांचवा अध्याय का पाठ 

NAVRATRI 2024 Shri Durga Saptashi  Panchawa Adhyaya  Ka Path /श्री दुर्गा सप्तशती  के पांचवा अध्याय का पाठ 

NAVRATRI 2024 Shri Durga Saptashi  Panchawa Adhyaya  Ka Path /navratri 2024 श्री दुर्गा सप्तशती  के पांचवा अध्याय का पाठ 

NAVRATRI 2024 श्री दुर्गा सप्तशती के पांचवें अर्थात पंचम अध्याय के पाठ में मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है जो भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय के नाम से भी जाने जाते हैं इन्हीं भगवान कार्तिकेय की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है इनकी उपासना NAVRATRI 2024 नवरात्रि के पूजा के पांचवें दिन की जाती है

यह कमल के आसन पर विराजमान है इसीलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है इनका वाहन भी सिंह है 

NAVRATRI 2024 नवरात्र पूजा के पांचवें दिन का शास्त्रों में पुष्कल महत्व बताया गया है इस चक्र में अवश्य रहने वाले बाहरी क्रियाएं एवं चित् वृतियो का लोप हो जाता है

NAVRATRI 2024दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में देवताओं द्वारा देवी के स्तुति की गई है

पूर्वकाल में शुम्भ और निशुम्भ नामक असुरों ने अपने बल के घमंड में आकर शचीपति इन्द्र के हाथ से तीनों लोकों का राज्य और यज्ञभाग छीन लिये I

वे ही दोनों सुर्य, चन्द्रमा, कुबेर, यम और वरुण के अधिकार का भी उपयोग करने लगे । वायु और अग्नि का कार्य भी वे ही करने लगे । उन दोनों ने सब देवताओं को अपमानित, राज्यभ्रष्ट, पराजित तथा अधिकारहीन करके स्वर्ग से निकाल दिया । उन दोनों महान् असुरों से तिरस्कृत देवताओं ने अपराजिता देवी का स्मरण किया और सोचा- ‘ जगदम्बा ने हम लोगों को वर दिया था कि आपत्तिकाल में स्मरण करने पर मैं तुम्हारी सब आपत्तियों का तत्काल नाश कर दूँगी I

NAVRATRI 2024 यह विचार कर देवता गिरिराज हिमालय पर गये और वहाँ भगवती विष्णुमाया की स्तुति करने लगे I

NAVRATRI 2024 देवी को नमस्कार है, महादेवी शिवा को सर्वदा नमस्कार है । प्रकृति एवं भद्रा को प्रणाम है । हम लोग नियमपूर्वक जगदम्बा को नमस्कार करते हैं 

रौद्रा को नमस्कार है । नित्या, गौरी एवं धात्री को बारम्बार नमस्कार है । ज्योत्स्नामयी, चन्द्ररूपिणी एवं सुखस्वरूपा देवी को सतत प्रणाम है ।

शरणागतों का कल्याण करनेवाली वृद्धि एवं सिद्धिरूपा देवी को हम बारम्बार नमस्कार करते हैं । नैर्ऋती (राक्षसोंकी लक्ष्मी ), राजाओं की लक्ष्मी तथा शर्वाणी (शिवपत्नी) – स्वरूपा आप जगदम्बा को बार – बार नमस्कार है I

दुर्गा, दुर्गपारा (दुर्गम संकट से पार उतारनेवाली ), सारा (सबकी सारभूता ), सर्वकारिणी, ख्याति, कृष्णा और धूम्रादेवी को सर्वदा नमस्कार है I

अत्यन्त सौम्य तथा अत्यन्त रौद्ररूपा देवी को हम नमस्कार करते हैं, उन्हें हमारा बारम्बार प्रणाम है । जगत् की आधारभूता कृतिका देवी को बारम्बार नमस्कार है I

NAVRATRI 2024 जो देवी सब प्राणियों में विष्णुमाया के नामसे कही जाती हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है I

जो देवी सब प्राणियों में चेतना कहलाती हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है 

NAVRATRI 2024 जो देवी सब प्राणियों में बुद्धिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है 

NAVRATRI 2024 दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में बताया गया है जो देवी सब प्राणियों में निद्रारूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है जो देवी सब प्राणियों में क्षुधारूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार  देवी सब प्राणियों में छाया रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है I

NAVRATRI 2024 जो देवी सब प्राणियों में शक्तिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है I

NAVRATRI 2024 जो देवी सब प्राणियों में तृष्णा रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है ॥जो देवी सब प्राणियों में क्षान्ति (क्षमा)- रूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है I

NAVRATRI 2024 दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में बताया गया है देवी सब प्राणियों में जातिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है I 

NAVRATRI 2024 जो देवी सब प्राणियों में लज्जारूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है I

NAVRATRI 2024 जो देवी सब प्राणियों में शान्तिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है 

देवी सब प्राणियों में श्रद्धारूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है 

NAVRATRI 2024जो देवी सब प्राणियों में कांतिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है I

NAVRATRI 2024 जो देवी सब प्राणियों में लक्ष्मीरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है I 

जो देवी सब प्राणियों में वृत्तिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है 

जो देवी सब प्राणियों में स्मृतिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है 

NAVRATRI 2024 दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में बताया गया है जो देवी सब प्राणियों में दयारूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है I

NAVRATRI 2024जो देवी सब प्राणियों में तुष्टिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है 

जो देवी सब प्राणियों में मातारूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है 

NAVRATRI 2024 जो देवी सब प्राणियों में भ्रान्तिरूप से स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है I

NAVRATRI 2024 जो जीवों के इन्द्रियवर्ग की अधिष्ठात्री देवी एवं सब प्राणियों में व्याप्त रहनेवाली हैं, उन व्याप्ति देवी को बारंबार नमस्कार है I

NAVRATRI 2024 दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में बताया गया हैजो देवी चैतन्यरूप से इस सम्पूर्ण जगत् को व्याप्त करके स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है I 

NAVRATRI 2024 पूर्वकाल में अपने अभीष्ट की प्राप्ति होने से देवताओं ने जिनकी स्तुति की तथा देवराज इन्द्र ने बहुत दिनों तक जिनका सेवन किया, वह कल्याण की साधनभूता ईश्वरी हमारा कल्याण और मंगल करे तथा सारी आपत्तियों का नाश कर डाले करे I

NAVRATRI 2024 उद्दण्ड दैत्यों से सताये हुए हम सभी देवता जिन परमेश्वरी को इस समय नमस्कार करते हैं तथा जो भक्ति से विनम्र पुरुषों द्वारा स्मरण की जाने पर तत्काल ही सम्पूर्ण विपत्तियों का नाश कर देती हैं, वे जगदम्बा हमारा संकट दूर करें 

राजन् ! इस प्रकार जब देवता स्तुति कर रहे थे, उस समय पार्वती देवी गंगाजी के जलमें स्नान करने के लिये वहाँ आयीं

NAVRATRI 2024 आप लोग यहाँ किसकी स्तुति करते हैं ? ’ तब उन्हीं के शरीर कोश से प्रकट हुई शिवादेवी बोलीं-

NAVRATRI 2024 दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में बताया गया है शुम्भ दैत्य से तिरस्कृत और युद्ध में निशुम्भ से पराजित हो यहाँ एकत्रित हुए ये समस्त देवता यह मेरी ही स्तुति कर रहे हैं  

पार्वतीजी के शरीर कोश से अम्बिका का प्रादुर्भाव हुआ था, इसलिये वे समस्त लोकोंमें ‘कौशिकी’ कही जाती हैं  

NAVRATRI 2024 कौशिकी के प्रकट होने के बाद पार्वती देवी का शरीर काले रंग का हो गया, अत: वे हिमालयपर रहनेवाली कालिका देवी के नाम से विख्यात हुईं 

तदनन्तर शुम्भ-निशुम्भ के भृत्य चण्ड-मुण्ड वहाँ आये और उन्होंने परम मनोहर रूप धारण करनेवाली अम्बिका देवी को देखा I

NAVRATRI 2024 फिर वे शुम्भ के पास जाकर बोले- ‘महाराज ! एक अत्यन्त मनोहर स्त्री है, जो अपनी दिव्य कान्ति से हिमालय को प्रकाशित कर रही है I

वैसा उत्तम रूप कहीं किसी ने भी नहीं देखा होगा । असुरेश्वर ! पता लगाइये, वह देवी कौन है और उसे ले लीजिये 

NAVRATRI 2024 दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में बताया गया है स्त्रियों में तो वह रत्न है, उसका प्रत्येक अंग बहुत ही सुन्दर है तथा वह अपने श्रीअंगों की प्रभा से सम्पूर्ण दिशाओं में प्रकाश फैला रही है। 

NAVRATRI 2024 दैत्यराज ! अभी वह हिमालयपर ही मौजूद है, आप उसे देख सकते हैं 

प्रभो ! तीनों लोकों में मणि, हाथी और घोड़े आदि जितने भी रत्न हैं, वे सब इस समय आपके घर में शोभा पाते हैं I

हाथियों में रत्नभूत ऐरावत, यह पारिजातका वृक्ष और यह उच्चै:श्रवा घोड़ा – यह सब आपने इन्द्र से ले लिया है NAVRATRI 2024

NAVRATRI 2024 हंसों से जुता हुआ यह विमान भी आपके आँगन में शोभा पाता है । यह रत्नभूत अद्भूत विमान, जो पहले ब्रह्माजी के पास था अब आपके यहाँ लाया गया है 

NAVRATRI 2024 यह महापद्म नामक निधि आप कुबेर से छीन लाये हैं । समुद्र ने भी आपको किंजल्किनी नामकी माला भेंट की है, जो केसरों से सुशोभित है और जिसके कमल कभी कुम्हलाते नहीं हैं I

NAVRATRI 2024 सुवर्ण की वर्षा करने वाला वरुण का छत्र भी आपके घर में शोभा पाता है तथा यह श्रेष्ठ रथ, जो पहले प्रजापति के अधिकार में था, अब आपके पास मौजूद है I

NAVRATRI 2024 दैत्येश्वर ! मृत्यु से उत्क्रान्तिदा नामवाली शक्ति भी आपने छीन ली है तथा वरुण का पाश और समुद्र में होनेवाले सब प्रकार के रत्न आपके भाई निशुम्भ के अधिकार में हैं । अग्निने भी स्वत: शुद्ध किये हुए दो वस्त्र आपकी सेवामें अर्पित किये हैं I 

NAVRATRI 2024 दैत्यराज ! इस प्रकार सभी रत्न आपने एकत्र कर लिये हैं । फिर जो यह स्त्रियों में रत्नरूप कल्यानमयी देवी है, इसे आप क्यों नहीं अपने अधिकार में कर लेते ? ’

NAVRATRI 2024 दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में बताया गया है चण्ड-मुण्ड का यह वचन सुनकर शुम्भ ने महादैत्य सुग्रीव को दूत बनाकर देवी के पास भेजा और कहा- ‘तुम मेरी आज्ञा से उसके सामने ये – ये बातें कहना और ऐसा उपाय करना – जिससे प्रसन्न होकर वह शीघ्र ही यहाँ आ जाय I

NAVRATRI 2024 वह दूत पर्वत के अत्यन्त रमणीय प्रदेश में, जहाँ देवी मौजूद थीं, गया और मधुर वाणी में कोमल वचन बोला I

NAVRATRI 2024 देवि ! दैत्यराज शुम्भ इस समय तीनों लोकों के परमेश्वर हैं । मैं उन्हीं का भेजा हुआ दूत हूँ और यहाँ तुम्हारे ही पास आया हूँ 

 

NAVRATRI 2024 दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में बताया गया है उनकी आज्ञा सदा सब देवता एक स्वर से मानते हैं । कोई उसका उल्लंघन नहीं कर सकता । वे सम्पूर्ण देवताओं को परास्त कर चुके हैं । उन्होंने तुम्हारे लिये जो संदेश दिया है, उसे सुनो-

NAVRATRI 2024 सम्पूर्ण त्रिलोकी मेरे अधिकार में है । देवता भी मेरी आज्ञा के अधीन चलते हैं । सम्पूर्ण यज्ञों के भागों को मैं हीं पृथक् – पृथक् भोगता हूँ

तीनों लोकों में जितने श्रेष्ठ रत्न हैं, वे सब मेरे अधिकार में हैं । देवराज इन्द्र का वाहन ऐरावत,जो हाथियों में रत्न के समान है, मैंने छीन लिया है 

NAVRATRI 2024 क्षीरसागर का मन्थन करने से जो अश्वरत्न उच्चै:श्रवा प्रकट हुआ था, उसे देवताओं ने मेरे पैरों पर पड़कर समर्पित किया है 

सुन्दरी ! उनके सिवा और भी जितने रत्नभूत पदार्थ देवताओं, गन्धर्वों और नागों के पास थे, वे सब मेरे ही पास आ गये हैं I

NAVRATRI 2024 सुन्दरी ! उनके सिवा और भी जितने रत्नभूत पदार्थ देवताओं, गन्धर्वों और नागों के पास थे, वे सब मेरे ही पास आ गये हैं 

NAVRATRI 2024 देवि ! हमलोग तुम्हें संसारकी स्त्रियों में रत्न मानते हैं, अत: तुम हमारे पास आ जाओ ; क्योंकि रत्नोंका उपभोग करनेवाले हम ही हैं I

चंचल कटाक्षोंवाली सुन्दरी ! तुम मेरी या मेरे भाई महापराक्रमी निशुम्भ की सेवामें आ जाओ ; क्योंकि तुम रत्नस्वरूपा हो I

NAVRATRI 2024 मेरा वरण करने से तुम्हें तुलनारहित महान् ऐश्वर्यकी प्राप्ति होगी । अपनी बुद्धि से यह विचारकर तुम मेरी पत्नी बन जाओ ’

NAVRATRI 2024 दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में बताया गया है दूत के यों कहने पर कल्याणमयी भगवती दुर्गादेवी, जो इस जगत् को धारण करती हैं, मन ही मन गम्भीर भाव से मुस्करायीं और इस प्रकार बोलीं- 

दूत ! तुमने सत्य कहा है, इसमें तनिक भी मिथ्या नहीं है। शुम्भ तीनों लोकों का स्वामी है और निशुम्भ भी उसी के समान पराक्रमी है I

किंतु इस विषय में मैंने जो प्रतिज्ञा कर ली है, उसे मिथ्या कैसे करूँ ? मैंने अपनी अल्प बुद्धि के कारण पहले से जो प्रतिज्ञा कर रखी है, उसे सुनो- 

NAVRATRI 2024 जो मुझे संग्राम में जीत लेगा, जो मेरे अभिमान को चूर्ण कर देगा तथा संसार में जो मेरे समान बलवान् होगा, वही मेरा स्वामी होगा I 

इसलिये शुम्भ अथवा महादैत्य निशुम्भ स्वयं ही यहँ पधारें और मुझे जीतकर शीघ्र ही मेरा पाणिग्रहण कर लें, इसमें विलम्ब की क्या आवश्यकता है ? 

NAVRATRI 2024 तुम घमंड में भरी हो, मेरे सामने ऐसी बातें न करो । तीनों लोकों में कौन ऐसा पुरुष है, जो शुम्भ-निशुम्भ के सामने खड़ा हो सके I

देवि ! अन्य दैत्यों के सामने भी सारे देवता युद्धमें नहीं ठहर सकते, फिर तुम अकेली स्त्री होकर कैसे ठहर सकती हो I

NAVRATRI 2024 जिन शुम्भ आदि दैत्यों के सामने इन्द्र आदि सब देवता भी युद्ध में खड़े नहीं हुए, उनके सामने तुम स्त्री होकर कैसे जाओगी ?

इसलिये तुम मेरे ही कहने से शुम्भ – निशुम्भ के पास चली चलो । ऐसा करने से तुम्हारे गौरव की रक्षा होगी ; अन्यथा जब वे केश पकड़कर घसीटेंगे, तब तुम्हें अपनी प्रतिष्ठा खोकर जाना पड़ेगा I

NAVRATRI 2024 तुम्हारा कहना ठीक है, शुम्भ बलवान् हैं और निशुम्भ भी बड़ा पराक्रमी है ; किन्तु क्या करूँ ? मैंने पहले बिना सोचे – समझे प्रतिज्ञा कर ली है 

अत: अब तुम जाओ ; मैंने तुमसे जो कहा है, वह सब दैत्यराज से आदरपूर्वक कहना । फिर वे जो उचित जान पड़े, करें  NAVRATRI 2024