NAVRATRI 2024  Shri Durga Saptashi Teersre Adhyaya  Ka Path /श्री दुर्गा सप्तशती  के तीसरे अध्याय का पाठ 

NAVRATRI 2024 Shri Durga Saptashi Teersre Adhyaya  Ka Path /श्री दुर्गा सप्तशती  के तीसरे अध्याय का पाठ 

NAVRATRI 2024 Shri Saptashi Teersre Adhyaya  Ka Path /श्री दुर्गा सप्तशती  के तीसरे अध्याय का पाठ 

NAVRATRI 2024 श्री दुर्गा सप्तशती के तीसरे पाठ का पठन मां चंद्रघंटा की उपासना के साथ किया जाता है मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है इनका स्वरूप परम शांति दायक और कल्याणकारी है इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्ध चंद्र है इसी कारण इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा,इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है इनका वाहन सिंह है 

NAVRATRI 2024 श्री दुर्गा सप्तशती के तीसरे पाठ में हमें चाहिए कि हम मन वचन कर्म एवं शरीर से शुद्ध होकर विधि विधान के अनुसार मां चंद्रघंटा की शरण लेकर उनकी उपासना आराधना में तत्पर हो इनकी उपासना से हम सांसारिक कासन से छूटकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं

NAVRATRI 2024 श्री दुर्गा सप्तशती के तीसरे पाठ इस प्रकार है 

NAVRATRI 2024 श्री दुर्गा सप्तशती के तीसरे पाठ में सेनापतियों द्वारा महिषासुर का वध का व्याख्या है 

NAVRATRI 2024 महर्षि मेधा ने कहा महिषासुर की सेवा नष्ट होती देख कर उसे सेवा का सेनापति चिक्षुर  क्रोध में भर देवी के साथ युद्ध करने के लिए आगे बढ़ा,

NAVRATRI 2024 वह देवी पर इस प्रकार वाहनों की वर्षा करने लगा मानव सुमेरु पर्वत पानी की धार बरसा रहे हो इस प्रकार देवी ने अपने बालों से उसके बाणो  को काट डाला और उसके घोड़े व सारथी को मार दिया

NAVRATRI 2024 साथ ही उसके धनुष और उसकी अत्यंत ऊंची ध्वज को भी काट कर नीचे गिरा दिया उसका धनुष कट जाने के पश्चात उसके शरीर के अंगों को भी अपने बाणो  से बींध दिया

NAVRATRI 2024 श्री दुर्गा सप्तशती के तीसरे पाठ में धनुष घोड़ा और सारथी के नष्ट हो जाने पर वह असुर दल और तलवार लेकर देवी की तरफ आया,उसने अपने तीक्ष्ण धार वाली तलवार सेदेवी के सिंह के मस्तक पर प्रहार किया और बड़े विवेक से देवी की बाई भुजा परिवार किया किंतु देवी की बाई भुजा को छूते ही उसे डेट की तलवार टूट कर दो टुकड़े हो गई इससे डेथ ने क्रोध में भरकर शु हाथ में लिया और उसे भद्राकाली देवी की ओर फेंका देवी की ओर आता हुआ वह शूल  आकाश से गिरते हुए सूर्य के समान प्रज्वलित हो उठा

NAVRATRI 2024 श्री दुर्गा सप्तशती के तीसरे पाठ में उसे शूल  को अपनी ओर आते हुए देखकर देवी ने भी  शूल छोड़ा  और महाअसुर के शूल के सौ टुकड़े कर दिए और साथ ही महाअसुर के प्राण ही हर लिए चिक्षुर  के मरने पर देवताओं को दुख देने वाला चामार नामक दैत्य हाथी पर सवार होकर देवी से लड़ने के लिए आया और उसने शक्ति का प्रहार किया

NAVRATRI 2024 किंतु देवी ने अपनी ओंकार से उसे तोड़कर पृथ्वी पर डाल दिया शक्ति को टूटा हुआ देखकर दैत्य ने क्रोध से लाल होकर शूल को चलाया,किंतु देवी ने उसे भी काट दिया ,इतने में देवी का सिंह उछलकर हाथी के मस्तक पर सवार हो गया और दैत्य के साथ बहुत ही तीव्र युद्ध करने लगा फिर वह दोनों लड़ते हुए हाथी पर से पृथ्वी पर आज गिरे और दोनों बड़े क्रोध से लड़ने लगे फिर सिंह बड़े जोर से आकाश की ओर उछला और जब पृथ्वी की ओर आया तो अपने पंजे से चामर का सिर धड़ से अलग कर दिया 

NAVRATRI 2024 श्री दुर्गा सप्तशती के तीसरे पाठ में क्रोध में भरी हुई देवी ने शीला और वृक्ष आदि की चोटों से उद्रग  को भी मार दिया,कराल को दातोंऔर थप्पड़ों से चूर्ण  कर डाला,क्रुद्ध हुई देवी ने गदा के प्रहार से उद्दत दैत्य को मार गिराया,भिन्दिपाल से वाष्कल को,बाणो से ताम्र तथा अंधक को मौत के घाट उतार दिया,तीनों नेत्रों वाली परमेश्वरी ने त्रिशूल से उग्रासय,उग्रवीर्य और महानू नमक राक्षसों को मार गिराया

NAVRATRI 2024 उसने अपनी तलवार से विडाल  नामक दैत्य का सिर काट डाला तथा अपने बालों से दुर्धर और दुर्मुख राक्षसों को यमलोक पहुंचा दिया,इस प्रकार जब महिषासुर ने देखा की देवी ने मेरी सेवा को नष्ट कर दिया है तो वह भैंस का रूप धारण करके देवी के गानों को दुख देने लगा उन गणो  में कितनों को उसने मुख के प्रहार से,कितनों को खुरो से,कितनों को पूछ से,कितनों को सिंगो से, बहुतों को दौड़ने के वेग से, अनेकों को सिंह नाथ से कितनों को चक्कर देकर और कितनों को श्वास वायु के झोंकों से पृथ्वी पर गिरा दिया 

NAVRATRI 2024 वह दैत्य इस प्रकार गणो  की सेना को गिरा देवी के सिंह को मरने के लिए दौड़ा, इस पर देवी को बड़ा गुस्सा आया उधर दैत्य भी क्रोध में भरकर धरती को खारो से खोदने लगा तथा सिंह  से पर्वतों को उखाड़ उखाड़ कर धरती पर फेंकने लगा और मुख से शब्द करने लगा

NAVRATRI 2024 श्री दुर्गा सप्तशती के तीसरे पाठ 

महिषासुर के वेग से चक्कर देने के कारण पृथ्वी क्षुब्ध  होकर फटने लगी,उसकी पुछ से टकराकर समुद्र चारों ओर फैलने लगा,हिलते हुए सींगो के आघात से मेघ खंड-खंड हो गए और श्वास से आकाश में उड़ते हुए पर्वत फटने लगे,इस तरह क्रोध में भरे हुए राक्षस को देख चंडिका को भी क्रोध आ गया

NAVRATRI 2024 देवी ने पाश फेंक कर दैत्य को बंद लिया और उसने बंद जाने पर दैत्य का रूप त्याग दिया और सिंह का रूप बना लियाऔर जो ही देवी उसका सिर काटने के लिए तैयार हुई कि उसने पुरुष रूप बना लिया जो कि हाथ में तलवार लिए हुए था

NAVRATRI 2024देवी ने तुरंत ही अपने बालों के साथ उसे पुरुष को उसकी तलवार ढाल सहित बींध डाला,इसके बाद वह हाथी के रूप में दिखाई देने लगाऔर अपनी लंबी सूंड से देवी के सिंह को खींचने लगा

NAVRATRI 2024देवी ने अपनी तलवार से उसकी  सूंड काट डाली,तब राक्षस ने एक बार फिर भैंस का रूप धारण कर लिया और पहले की तरह चल अचर जीवन सहित समस्त त्रिलोकी को व्याकुल करने लगा,इसके पश्चात क्रोध में भरी हुई देवी बारंबार उत्तम मधु का पान करने लगीऔर लाल लाल नेत्र करके हंसने लगी

NAVRATRI 2024 देवी अपने बालों से उसके फेक हुए पर्वतों को चूर्ण करती हुई बोली -ओ मूढ़ ! जब तक मैं मधु पान कर रही हूं तब तक तू गरज लेऔर इसके पश्चात मेरे हाथों तेरी मृत्यु हो जाने पर देवता गरजेंगे,महर्षि मेधा ने कहा यह कहकर देवी उछलकर उसे दैत्य पर जा चढ़ी और उसको अपने पैरों से दबाकर शूल  से उसके गले पर आघात किया

NAVRATRI 2024 देवी के पैर से दबने पर भी दैत्य अपने दूसरे रूप से बाहर आने लगा अभी वह आधा निकला हुआ ही दैत्य युद्ध करने लगा तो देवी ने अपनी तलवार से उसका सिर काट दिया इसके पश्चात सारी राक्षस सेना हाहाकार करती हुई वहां से भाग खड़ी हुई और सब देवता अत्यंत प्रसन्न हुए तथा ऋषियों और महर्षियों सहित देवी की स्तुति करने लगे गंधर्व राज गान  करने लगे और अप्सराय नृत्य करने लगी 

NAVRATRI 2024